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वोडाफोन ने ISD कॉल का भेजा बिल: ग्राहक के पास नहीं थी इसकी सुविधा, खुद लड़ा केस

वोडाफोन ने ISD कॉल का भेजा बिल : ग्राहक के पास नहीं थी इसकी सुविधा, खुद लड़ा केस; कंपनी को देना पड़ा 97 हजार जुर्माना


आज जरूरत की खबर की शुरुआत एक सच्ची घटना से करते हैं...

सुरजीत श्यामल और अनामिका रंजन दिल्ली में रहते हैं। सुरजीत की पत्नी अनामिका वोडाफोन का पोस्टपेड नंबर इस्तेमाल करती हैं। उनके पास 149 रुपए वाला प्लान था। पिछले साल दिसंबर में वोडाफोन ने लगभग 4,000 रुपए का बिल दिया। जिसमें 3,816 रुपए ISD कॉल के थे। बिल जमा न करने की वजह से नंबर बंद कर दिया गया ।

सुरजीत ने कस्टमर केयर में बिल आने का कारण पता किया। मालूम हुआ कि उनके नंबर पर ISD कॉल की सेवा एक्टिव नहीं है। कस्टमर केयर रिप्रेजेंटेटिव ने यह भी कहा कि पता नहीं ISD कॉल कैसे हो गया, यह पैसे उसके ही हैं, मैं कंप्लेंट लिख लेता हूं। फिर दो दिन के बाद कॉल कर बताया गया कि नहीं आपको ही पैसे देने होंगे। सुरजीत ने कंपनी को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन कस्टमर केयर की तरफ से पैसे देने का उन पर दवाब बढ़ता गया।

सुरजीत कहते हैं- 14 साल से यह नंबर मेरी पत्नी यूज कर रही थी। जब कंपनी ने एक न सुनी तब 13 मई, 2022 को कंज्यूमर कोर्ट जाना पड़ा। थाने में शिकायत भी दर्ज करवाई।

सुरजीत और उनकी पत्नी अनामिका अकेली नहीं, जिनके साथ फर्जी बिल का मामला हुआ था। न ही वोडाफोन अकेली कंपनी है जिसने इस तरह की गड़बड़ी की है। देश के हर हिस्से से ऐसे मामले आते रहते हैं। हमें अलर्ट रहने के साथ-साथ कंज्यूमर फोरम में शिकायत कैसे करनी चाहिए? सुरजीत की तरह अगर हम भी अपना केस लड़ना चाहते हैं तो यह कैसे संभव होगा, इन सभी प्रश्नों के बारे में हम आज डिटेल में बात करेंगे।

एक्सपर्ट हैं- सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सचिन नायक और कंज्यूमर फोरम की रिटायर्ड जज डॉ. प्रेमलता

सवाल- पोस्टपेड सिम के बारे में डिटेल में बताएं, क्योंकि अपनी सिम को रिचार्ज करवाते हैं, उसमें बिल का कोई झंझट ही नहीं रहता है?
जवाब- दरअसल, पहले सिम रिचार्ज कर फोन का जब हम इस्तेमाल करते हैं तब उसे प्रीपेड सिम कहते हैं। इस सिम को ज्यादातर लोग यूज करते हैं। रिचार्ज करवाने के बाद ही कॉलिंग, मैसेज और इंटरनेट की सुविधा मिल पाती है। पोस्ट पेड सिम में ग्राहक कॉलिंग, SMS और इंटरनेट की सुविधा का फायदा पहले उठा सकते है। बाद में उन्हें बिल. देना पड़ता है। इसके लिए भी आप एक प्लान चुन सकते हैं, जिसके हिसाब से बिल मंथली या इयरली देना पड़ता है। वो लोग जो ज्यादा इंटरनेट और कॉलिंग यूज करते हैं उनके लिए यह ऑप्शन फायदेमंद हैं।

सवाल- किसी भी आम इंसान के पास पोस्टपेड सिम का फर्जी बिल आ जाए, तो क्या सुरजीत और अनामिका की तरह वो भी शिकायत कर सकता है?
जवाब- बिल्कुल। ये हर आम इंसान का अधिकार है। शिकायत करने में देरी नहीं करनी चाहिए।

शिकायत कहां-कहां कर सकते हैं, इसके लिए नीचे दिए ग्राफिक को पढ़ें और दूसरों को भी शेयर करें-



सवाल- पोस्टपेड सिम का बिल आ जाए और हमें इसे लेकर कोई डाउट है, तो सबसे पहले क्या करना चाहिए?
जवाब- बिना देर किए कस्टमर केयर में कॉल करना चाहिए। आप पास के फोन कंपनी के सेंटर पर जाकर भी अपने डाउट क्लियर कर सकते हैं। कॉल डिटेल निकलवाना जरूरी है।

सवाल- आप थोड़ी देर पहले कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का जिक्र कर रहे थे, इसे डिटेल में बताएं?
जवाब- कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट पूरी तरह उपभोक्ताओं यानी कंज्यूमर के लिए है। इस एक्ट के तहत कानूनी रूप से ग्राहक उत्पादकों और कंपनियों की ओर से दी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं में कमी के खिलाफ शिकायत कर सकता है। 2019 में इसमें बदलाव किया गया। इसके लिए बहुत ज्यादा सबूत की जरूरत नहीं होती। बस आपको अपनी बातों को जस्टिफाई करना होगा। उसी के आधार पर सबूत भी देने होंगे।



सवाल- आप वेबसाइट बता सकते हैं, जहां जाकर कस्टमर अपनी शिकायत कर सकता है?
जवाब-सुरजीत ने अपने केस में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन की ऑफिशियल वेबसाइट जाकर शिकायत की थी। लेकिन अब आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। नए नियम के आधार पर आप ई- दाखिल के माध्यम से ही शिकायत कर सकते हैं।

सवाल - कंज्यूमर कोर्ट में केस लड़ने के लिए ग्राहक को खुद पैसे खर्च करने होंगे?
जवाब- जी हां, शुरुआत में आपको इसके पैसे खुद ही देने होंगे। मुआवजे के तौर पर आप इसका खर्चा भी कंपनी से क्लेम कर सकते हैं। जैसा सुरजीत ने कोर्ट के माध्यम से किया। (सुरजीत ने ये कैसे दिए, ये हम आगे बताएंगे, इसके लिए आगे खबर पढ़ें)

सवाल- सुरजीत ने अपनी पत्नी का केस खुद लड़ा, क्या कोई भी आम इंसान ऐसा कर सकता है?
जवाब- जी हां, आप अपनी पत्नी ही नहीं, बल्कि खुद का भी केस लड़ सकते हैं। हालांकि कोई भी आम इंसान सिर्फ कंज्यूमर कोर्ट में ही वकील के बगैर अपना केस खुद लड़ सकता है। बाकी कोर्ट में आपको वकील की जरूरत पड़ेगी।



सवाल- क्या खुद केस लड़ने के लिए किसी खास क्वालिफिकेशन की जरूरत होती है ?
जवाब- नहीं, इसके लिए किसी तरह के क्वालिफिकेशन की न ही डिमांड की जाती है और न ही इसकी जरूरत होती है। आपको सिर्फ कंज्यूमर यानी ग्राहक होने की जरूरत है। ग्राहक को अपना केस समझ आना चाहिए कि वो जो कह रहा है वो पूरी तरह से सही है। उसे कोर्ट में अपने केस से जुड़े प्रूफ भी देने होंगे।

सवाल - सुरजीत को 97 हजार मिले। कोई भी ग्राहक कैसे तय करेगा कि उसे कितने पैसे कंपनी के ऊपर क्लेम करने हैं?
जवाब- इसका कोई फार्मूला नहीं है। ग्राहक को ये खुद तय करना होगा कि जब उसे सर्विस खराब मिली है या मिलना बंद हो गई है, तो उसका फाइनेंशियली या मेंटली कितना नुकसान हुआ है। फिर कैल्कुलेट करके आप कंपनी के सामने दावा प्रस्तुत करते हैं।

सवाल- सुरजीत कहते हैं कि वह authorized representative बनकर कंज्यूमर कोर्ट में केस लड़े थे। ये क्या होता है?
जवाब- मान लीजिए आप कोर्ट में पेश नहीं हो पा रहे हैं या अपनी बात रखने में सक्षम नहीं हैं, तो एक authorized representative नियुक्त करेंगे, जो कोर्ट को आपकी बात समझा सके।

सवाल- यह कैसे तय किया जाता है कि किस फोरम में कितनी रकम तक की सेवा के लिए शिकायत कर सकते हैं?
जवाब- उपभोक्ता फोरम में शिकायत के लिए नियम तय है। एक निश्चित रकम की सेवा आधार पर ही फोरम तय किए गए हैं।

डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम-
अगर 1 करोड़ रुपए तक की सेवा का मामला है तो इसकी शिकायत डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में करनी होती है।

स्टेट कंज्यूमर फोरम
1 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए तक की सेवा का मामला है तो स्टेट कंज्यूमर फोरम में शिकायत करनी होती है।

नेशनल कंज्यूमर फोरम-
10 करोड़ से ज्यादा की सेवा के केस के लिए नेशनल कंज्यूमर फोरम में जाना होगा और शिकायत करनी होगी।

चलते-चलते
सुरजीत ने अपनी लड़ाई कैसे लड़ी और कंपनी ने 97 हजार
रुपए कैसे दिए, इसकी पूरी डिटेल पढ़ लीजिए-

जब सुरजीत को कस्टमर केयर की तरफ से कोई खास मदद नहीं मिली, तो उसने लोकल थाने और कंज्यूमर कोर्ट का सहारा लिया। कंज्यूमर कोर्ट ने 8 अगस्त 2022 को फैसला सुनाया कि सुरजीत वोडाफोन कंपनी को 50% बिल पे कर दे और कंपनी इसके बदले में सुरजीत का नंबर दोबारा चालू करने के साथ-साथ रिस्टोर कर दे । रिस्टोर का मतलब- सिम को पुरानी स्थिति में वापस लाना। कोर्ट के आदेश के बाद वोडाफोन ने सुरजीत का नंबर चालू करने में 15 दिन लगा दिए, लेकिन सिम को रिस्टोर नहीं किया। कंपनी ने कहा कि कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया। इसके बाद सुरजीत ने कंटेम्प ऑफ कोर्ट की याचिका दायर की। कोर्ट ने वोडाफोन के एमडी को नोटिस जारी किया। एमडी ने सुरजीत से माफी मांगकर मामला खत्म करने की बात कही और कोर्ट के सामने सेटेलमेंट करने के लिए राजी भी हो गया। सुरजीत ने टोटल 97 हजार का कंपनी पर क्लेम किया था। जिसे कंपनी ने कोर्ट के आदेश के बाद वापस कर दिया।

80 हजार नुकसान- 7 महीने तक नंबर बंद रहने का
15,000 कोर्ट का खर्चा - लीगल एक्सटेंट |
1,908 - कोर्ट के आदेश अनुसार, नंबर चालू करवाने के
लिए 50% बिल पे किया।
सुरजीत और अनामिका की कहानी से लें सीख 

Written By - KR Choudhary

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