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सुप्रीम कोर्ट बोला - पुलिस गिरफ्तारी का कारण लिखित में दे, ऐसी भाषा में दें जो समझ आए। नियम न मानने पर गिरफ्तारी, रिमांड अवैध

सुप्रीम कोर्ट बोला- पुलिस गिरफ्तारी का कारण लिखित में दे, ऐसी भाषा में दें जो समझ आए, नियम न मानने पर गिरफ्तारी और रिमांड अवैध




सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाए तो पुलिस उसे लिखकर बताया कि उसे क्यों पकड़ा गया है और ये जानकारी उसे समझ आने वाली भाषा में दी जाए। अपराध या कानून कोई भी हो, यह नियम हर हालत में लागू होना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को गिरफ्तार करने से पहले या तुरंत बाद लिखित में कारण नहीं दिया गया तो सिर्फ इसी वजह से गिरफ्तारी रद्द नहीं होगी। लेकिन यह जरूरी है कि गिरफ्तार व्यक्ति को लिखित जानकारी उचित समय के अंदर जरूर दी जाए।

या हर हाल में मजिस्ट्रेट के सामने रिमांड के लिए पेश करने से कम से कम दो घंटे पहले तक दे दी जाए। अगर यह नियम नहीं माना जाता तो गिरफ्तारी और उसके बाद मिलने वाली रिमांड दोनों अवैध माने जाएंगे और व्यक्ति को रिहा किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस फैसले की कॉपी सभी मुख्य हाईकोर्ट और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों को भेजी जाए।
CJI बीआर गवई और जस्टिस एजे मसीह की बेंच ने जुलाई 2024 में मुंबई में हुए बीएमडब्ल्यू हिट-एंड-रन हादसे से जुड़ा केस में ये फैसला सुनाया।

जस्टिस एजे मसीह सुप्रीम कोर्ट ने कहा की 
संविधान का अनुच्छेद 22 (1) केवल एक औपचारिक नियम नहीं है। यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा है, जो सुनिश्चित करता है कि जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, उसे जितनी जल्दी हो सके उसकी गिरफ्तारी का कारण बताया जाए।


बीएमडब्ल्यू हिट-एंड-रन केस के आरोपी ने अपील की थी
मिहिर राजेश शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य के नाम से दर्ज बीएमडब्ल्यू हिट-एंड-रन केस के आरोपी मिहिर राजेश शाह की सुप्रीम कोर्ट में अपील पर ये फैसला दिया गया है। उन्होंने कहा था कि उन्हें कानून के अनुसार लिखित कारण नहीं दिए गए, इसलिए गिरफ्तारी अवैध है।

हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने माना था कि प्रक्रिया में गलती हुई थी, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए उसने गिरफ्तारी को सही ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 52 पन्नों का फैसला दिया
जस्टिस मसीह ने बेंच की ओर से 52 पन्नों का फैसला लिखते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी का कारण बताना संविधान का आदेश है। यह नियम हर कानून और हर तरह के अपराध चाहे वह आईपीसी 1860 (अब BNS 2023) के तहत हो या किसी और कानून के तहत में जरूरी है।

फैसले में 2 मुख्य सवालों पर विचार किया गया:
  1. क्या हर मामले में यहां तक कि जब अपराध भारतीय दंड संहिता (अब BNS 2023) के तहत गिरफ्तारी से पहले या तुरंत बाद आरोपी को गिरफ्तारी का कारण बताना ज़रूरी है?
  2. अगर कुछ खास परिस्थितियों में तुरंत कारण बताना संभव न हो, तो क्या गिरफ्तारी अमान्य हो जाएगी?

कोर्ट ने पहले के फैसलों का संदर्भ देते हुए कहा कि
ऐसी भाषा में कारण बताना जिसे गिरफ्तार व्यक्ति समझ न सके, संविधान के अनुच्छेद 22 की शर्तों को पूरा नहीं करता। अगर जानकारी उसकी समझ वाली भाषा में न दी जाए, तो यह अनुच्छेद 21 और 22 के तहत उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

संविधान का उद्देश्य है कि व्यक्ति अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही तरह समझ सके और यह तभी हो सकता है जब जानकारी उसकी समझ वाली भाषा में दी जाए।

Written By - Adv. KR Choudhary

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